साक्षी मलिक | जीवनी, जन्म, आयु, शादी, पति, परिवार, अवार्ड्स, पदक और कुश्ती करियर
साक्षी मलिक कौन है? (Who is Sakshi Malik?)
हरियाणा, भारत के मोखरा गांव में 3 सितंबर, 1992 को जन्मी साक्षी मलिक एक भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान हैं, जिन्होंने मैट पर अपनी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है. उन्हें 2016 रियो ओलंपिक में 58 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीतने के लिए जाना जाता है, जिससे वह ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गईं है. इस ऐतिहासिक जीत ने न केवल उन्हें सुर्खियों में ला दिया, बल्कि भारत में अनगिनत युवा लड़कियों को कुश्ती में उतरने के लिए प्रेरित किया है.
मलिक की कुश्ती में यात्रा कम उम्र में ही शुरू हो गई थी. वह उनके दादा से प्रेरित थी, जो खुद एक पहलवान थे. उन्होंने रोहतक के एक अखाड़े (पारंपरिक कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र) में ईश्वर दहिया के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लेना शुरू किया. सामाजिक दबाव और ग्रामीण भारत में प्रचलित लैंगिक पूर्वाग्रहों सहित चुनौतियों के बावजूद, मलिक अडिग रहीं और कुश्ती के प्रति अपने जुनून को जारी रखा. उन्हें सफलता 2010 में मिली जब उन्होंने जूनियर विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता. इस उपलब्धि ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर सफल प्रदर्शनों की एक श्रृंखला की शुरुआत की.
2014 में, उन्होंने ग्लासगो में राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता और उन्होंने अपने भार वर्ग में खुद को एक दुर्जेय प्रतियोगी के रूप में स्थापित किया. साक्षी मलिक के करियर ने 2016 रियो ओलंपिक में नई ऊँचाइयों को छुआ. मलिक का ओलंपिक तक का सफर इतना आसान भी नहीं था. इसके लिए बहुत समर्पण, कठोर प्रशिक्षण और कई बाधाओं को पार करना पड़ा था. रियो में, उन्होंने दुनिया के कुछ सर्वश्रेष्ठ पहलवानों का सामना किया. किर्गिस्तान की ऐसुलु टिनीबेकोवा के खिलाफ उनका कांस्य पदक मैच उनकी रणनीतिक कौशल का प्रमाण था.
मलिक की जीत का पूरे भारत में जश्न मनाया गया, जिसने खेलों में भारतीय महिलाओं के लिए एक नए युग की शुरुआत की. अपनी ओलंपिक सफलता के बाद, साक्षी मलिक एक राष्ट्रीय नायक बन गईं और उन्हें प्रशंसा और पुरस्कारों की बौछार मिली. उन्हें भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान, राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया, और उन्हें भारत में लड़कियों के कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के लिए ब्रांड एंबेसडर भी नियुक्त किया गया.
कुश्ती के मैदान पर अपनी उपलब्धियों से परे, साक्षी मलिक खेलों में लैंगिक समानता की मुखर समर्थक रही हैं. उन्होंने महिला एथलीटों के लिए बेहतर सुविधाओं और समर्थन के लिए सक्रिय रूप से अभियान चलाया है और खेलों में करियर बनाने की इच्छुक युवा लड़कियों को प्रेरित करने और उनका मार्गदर्शन करने में भी भूमिका निभाई है. इस लेख में भारतीय पहलवान साक्षी मलिक की जीवनी, जन्म, आयु, शादी, पति, परिवार, अवार्ड्स, पदक और कुश्ती करियर के बारे में बात करने वाले है. तो दोस्तो बिना आपका समय गंवाए शुरू करते है.
साक्षी मलिक की जीवनी (Sakshi Malik Biography)
पेशा (Profession) |
पहलवान (Wrestler) |
जन्म (Birth) |
3 सितंबर 1992 |
जन्मस्थान (Birthplace) |
मोखरा गांव, हरियाणा, भारत |
पिता का नाम (Father Name) |
सुखबीर मलिक |
माता का नाम (Mother Name) |
सुदेश मलिक |
भाई–बहन (Siblings) |
सचिन मलिक |
पति/जीवनसाथी (Husband/Spouse) |
सत्यव्रत कादियान |
विवाह तिथि (Marriage Date) |
2 अप्रैल 2017 |
शिक्षा (Education)
|
वैश्य पब्लिक स्कूल, रोहतक डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, रोहतक |
कोच (Coach) |
ईश्वर दहिया |
आयु (Age) |
31 वर्ष (2024 तक) |
सक्रिय वर्ष (Years Active) |
2010 से वर्तमान |
नागरिकता (Nationality) |
भारतीय |
ऊंचाई (Height) |
162 सेमी/5 फीट 4 इंच |
वजन (Weight) |
62 किग्रा (लगभग) |
आंखों का रंग (Eye Colour) |
काला |
बालों का रंग (Hair Colour) |
काला |
इवेंट (Events) |
फ्रीस्टाइल रेसलिंग |
भार वर्ग (Weight Category) |
58 किग्रा |
अंतरराष्ट्रीय पदार्पण (International Debut) |
2014 (राष्ट्रमंडल खेल) |
कुल संपत्ति (Net Worth) |
$5 मिलियन (लगभग) |
पुरस्कार (Awards)
|
पद्म श्री (2017) मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार अर्जुन पुरस्कार (2016) और अन्य |
साक्षी मलिक का प्रारंभिक जीवन (Sakshi Malik Early Life)
साक्षी मलिक का जन्म 3 सितंबर 1992 को हरियाणा के रोहतक जिले के मोखरा गांव में हुआ था. उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था. उनके गांव मोखरा में कुश्ती को लड़कियों का खेल नहीं माना जाता था. साक्षी के गांव में लड़कियों से बस यही उम्मीद की जाती थी कि वो थोड़ी पढ़ाई करें और शादी के बाद घर के काम संभालें.
लेकिन साक्षी मलिक ने इन सभी भ्रांतियों को दूर करते हुए खुद को पूरी तरह से कुश्ती के खेल के लिए समर्पित कर दिया. साक्षी का परिवार भले ही आधुनिक था, लेकिन उन्होंने फिर भी अपनी बेटी के कुश्ती के प्रति जुनून का समर्थन किया. उनके दादा और पिता ने पारंपरिक लैंगिक रूढ़ियों को गलत साबित करते हुए अपनी बेटी के कुश्ती के प्रति जुनून का समर्थन किया. उनके गांव के लोग साक्षी पर उंगली उठाते थे जब वो शॉर्ट्स पहनकर लड़कों के साथ कुश्ती लड़ती थीं.
साक्षी का कुश्ती के प्रति जुनून कम उम्र से ही विकसित हो गया था. अपनी बेटी के कुश्ती के प्रति जुनून को देखते हुए उनके पिता ने उनका दाखिला रोहतक के छोटू राम स्टेडियम में करा दिया. यहां उन्होंने अपने पहले कोच ईश्वर दहिया के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण शुरू किया और जल्द ही खुद को एक मजबूत युवा पहलवान के रूप में स्थापित कर लिया. लड़कों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की चुनौती का सामना करते हुए, उन्होंने न केवल शारीरिक शक्ति विकसित की, बल्कि अदम्य भावना भी विकसित की.
साक्षी मलिक का परिवार (Sakshi Malik Family)
साक्षी मलिक का परिवार पहले किसी खेल से जुड़ा नहीं था, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी बेटी के खेल के प्रति जुनून का पूरा समर्थन किया. साक्षी के पिता का नाम सुखबीर मलिक है जो दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) में बस कंडक्टर थे. उनकी माँ का नाम सुदेश मलिक है जो एक स्थानीय स्वास्थ्य क्लिनिक में सुपरवाइजर के रूप में काम करती थीं.
उनके दादा ने उन्हें कुश्ती के लिए बहुत प्रेरित किया था. साक्षी के परिवार में एक भाई भी है जिसका नाम सचिन मलिक है. जब साक्षी के परिवार ने अपनी बेटी को कुश्ती सिखाना शुरू किया तो उन्हें गाँव वालों की आपत्तियों का सामना करना पड़ा था.
साक्षी मलिक की शिक्षा (Sakshi Malik Education)
साक्षी मलिक ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वैश्य पब्लिक स्कूल, रोहतक से पूरी की थी. इसके बाद उन्होंने डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल में एडमिशन लिया और आगे की पढ़ाई पूरी की. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने स्नातक की पढ़ाई करने के लिए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक में दाखिला ले लिया. तमाम बाधाओं के बावजूद उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल करते हुए कुश्ती के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाया और अंततः भारत भर की लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गईं.
उन्होंने अपने स्कूली दिनों में कई पदक जीते थे. कुश्ती की ट्रेनिंग के साथ-साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी और भारतीय रेलवे में नौकरी कर ली. साल 2014 में उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीता. यह उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. इसके बाद उनके लिए एक सुनहरा मौका तब आया जब वह ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बनीं.
साक्षी मलिक की शादी (Sakshi Malik Marriage)
साक्षी मलिक ने अपने साथी पहलवान सत्यव्रत कादियान से शादी की है. सत्यव्रत कादियान भी एक भारतीय पहलवान हैं. इस जोड़े ने 2 अप्रैल 2017 को शादी की थी. उनकी शादी में उनके परिवार के सदस्य और करीबी दोस्त शामिल हुए थे. साक्षी मलिक के पति सत्यव्रत कादियान एक पदक विजेता पहलवान हैं. सत्यव्रत कादियान एक पहलवान हैं, जिन्होंने एशियाई चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीते हैं.
साक्षी मलिक का कुश्ती करियर (Sakshi Malik Wrestling Career)
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं, साक्षी मलिक ने महज 12 साल की उम्र में ही कुश्ती की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी. अपनी बेटी के कुश्ती के प्रति जुनून को देखते हुए उनके पिता ने उनका दाखिला रोहतक के छोटू राम स्टेडियम में करा दिया. यहां उन्होंने कोच दहिया के मार्गदर्शन में कुश्ती का अभ्यास किया. अपने शुरुआती दिनों में साक्षी को कुश्ती के अपने कौशल को निखारने के लिए लड़कों के साथ कुश्ती लड़नी पड़ती थी.
विपरीत कुश्ती करने के कारण उन्हें आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा था. जब उन्होंने अपनी प्रतिभा को निखारने की कोशिश की तो स्थानीय लोग अक्सर उनके साथ बुरा व्यवहार करते थे. इससे कई बार उनका आत्मविश्वास भी डगमगा जाता था. लेकिन बाद में उन्हें भारतीय रेलवे में नौकरी मिल जाती है. इसके बाद उनमें आत्मविश्वास की भावना जागृत होती है.
रेलवे में नौकरी करते हुए उन्हें JSW स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम से जुड़ने का मौका मिला. यहां उनकी मुलाकात विनेश फोगाट, गीता फोगाट और बबीता फोगाट जैसी महिला पहलवानों से हुई. इन पहलवानों ने भी साक्षी का खूब साथ दिया. अभ्यास करने के बाद साक्षी मलिक ने साल 2010 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और अंतरराष्ट्रीय कुश्ती की दुनिया में कदम रखा.
इस प्रतियोगिता में उन्होंने 58 किलोग्राम फ्रीस्टाइल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था. 2008 बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार साक्षी मलिक के प्रेरणास्रोत रहे हैं. साल 2014 तक उन्होंने कुश्ती में और भी ज्यादा ख्याति हासिल कर ली थी. 2008 और 2012 के ओलंपिक खेलों में भारत ने भी पदक जीते थे. इस जीत के बाद साक्षी मलिक को ओलंपिक पदक जीतने की काफी प्रेरणा मिली.
साल 2014 में उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया. उन्होंने डेव शुल्ट्ज इंटरनेशनल टूर्नामेंट के 60 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद उन्होंने 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीता. लेकिन ताशकंद में आयोजित 2014 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में वह पदक नहीं जीत पाईं. इसके बाद उन्होंने दोहा में आयोजित 2015 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर जबरदस्त वापसी की.
रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली तीन महिला पहलवानों में साक्षी मलिक का चयन हुआ था. लेकिन उनका नंबर पहले स्थान पर नहीं था. भारतीय कुश्ती महासंघ ने पहले स्थान पर पहलवान गीता फोगाट का चयन किया था. इसके बाद साक्षी मलिक ने तुर्की के इस्तांबुल में प्रतिस्पर्धा की. 2016 विश्व कुश्ती ओलंपिक क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट में 58 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में पहुंचकर 2016 ओलंपिक के लिए जगह बनाई.
साक्षी मलिक ने 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स और 2015 एशियाई चैंपियनशिप में पदक जीते थे, इसलिए उन्हें 2016 रियो ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीतने की सबसे बड़ी उम्मीद माना जा रहा था. लेकिन ओलंपिक में चोट लगने के कारण वह पदक नहीं ला सकीं. वह क्वार्टर फाइनल में रूसी पहलवान वेलेरिया कोब्लोवा से हार गईं. इसके बाद उन्होंने अपने पहले मैच में मंगोलियाई पहलवान पुर्वेदोर्गिन ओरखोन को हराया था.
इसके बाद कांस्य पदक के लिए उनका सामना किर्गिज़ पहलवान ऐसुलु टिनीबेकोवा से हुआ. इस मैच में उन्होंने 8-5 से जीत हासिल कर इतिहास रच दिया और वह ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बन गईं. इस जीत के बाद वह एमसी मैरी कॉम, कर्णम मल्लेश्वरी और साइना नेहवाल के बाद पदक जीतने वाली चौथी महिला ओलंपिक पदक विजेता बन गईं.
साक्षी मलिक की उपलब्धियां और पदक (Sakshi Malik Achievements & Medals)
2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक: उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने कुश्ती कौशल का प्रदर्शन किया और स्कॉटलैंड के ग्लासगो में 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में 58 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक जीता.
2015 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक: साक्षी मलिक ने कतर के दोहा में आयोजित 2015 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर कुश्ती की दुनिया में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.
2016 रियो ओलंपिक में कांस्य पदक: साक्षी मलिक ने ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रच दिया. उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में 58 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती वर्ग में कांस्य पदक जीता, जिससे उन्हें राष्ट्रीय पहचान मिली और वे युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गईं.
2017 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक: उन्होंने भारत के नई दिल्ली में 2017 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में 58 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक जीता था.
2018 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक: ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में साक्षी मलिक ने 62 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीता, जिससे अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में उनकी स्थिति मजबूत हुई.
विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक: 2018 में, साक्षी मलिक ने हंगरी के बुडापेस्ट में आयोजित विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता, जिससे भारत के शीर्ष पहलवानों में से एक के रूप में उनकी प्रतिष्ठा और मजबूत हुई.
2019 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में पदक: 2019 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में साक्षी मलिक ने 62 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता था.
साक्षी मालिक को मिले पुरुष्कारों की सूची (Sakshi Malik Awards)
• राजीव गांधी खेल रत्न – 2016
• अर्जुन पुरस्कार – 2016
• यूथ आइकॉन ऑफ द ईयर अवार्ड – 2016
• रियो ओलंपिक में कांस्य पदक – 2016
• पद्म श्री – 2017
• बीबीसी इंडियन स्पोर्ट्सवुमेन ऑफ द ईयर – 2017
• खेलों में उत्कृष्ट उपलब्धि पुरस्कार – 2017
साक्षी मलिक के बारे में कुछ रोचक तथ्य (Some interesting facts about Sakshi Malik)
• साक्षी मलिक एक फ्रीस्टाइल पहलवान हैं. साक्षी ने 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता और 2016 में रियो ओलंपिक में कांस्य पदक भी जीता था.
• जब साक्षी ने कुश्ती सीखना शुरू किया, तो उनके परिवार को स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा था.
• साक्षी मलिक ने महज 12 साल की उम्र में कुश्ती की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी. अपनी बेटी के कुश्ती के प्रति लगन को देखते हुए उनके पिता ने उनका दाखिला छोटू राम स्टेडियम में करा दिया था.
• साक्षी के दादा बदलू राम ने कुश्ती में करियर बनाने में उनकी काफी मदद की थी.
• अपने कुश्ती करियर के साथ-साथ साक्षी ने उच्च शिक्षा भी हासिल की है. उनके पास फिजिकल एजुकेशन में मास्टर डिग्री है.
• साक्षी मलिक को अपनी यात्रा में कई व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसमें वित्तीय बाधाएँ भी शामिल थीं, लेकिन उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प और अपने परिवार के समर्थन के ज़रिए कभी भी हार नहीं मानी.
• साक्षी मलिक विनेश फोगट और गीता फोगट के साथ JSW स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम का हिस्सा हैं.
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निष्कर्ष (Conclusion)
आज के लेख में हमने भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक की जीवनी पर चर्चा की है. इसके साथ ही हमने उनके कुश्ती करियर और उनके जीवन की कुछ उपलब्धियों के बारे में भी बात की है. अपने शुरुआती जीवन में उन्हें स्थानीय लोगों के तानों का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कम उम्र में ही कुश्ती शुरू कर दी थी. साक्षी ने न केवल कुश्ती में सफलता हासिल की है बल्कि वह पढ़ाई में भी अच्छी रही हैं. उन्होंने फिजिकल एजुकेशन में मास्टर डिग्री हासिल की है.
आज वह एक युवा महिला एथलीट के रूप में जानी जाती हैं और लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं. जिस तरह से उन्होंने सामाजिक विरोध का सामना किया और आगे बढ़ीं, उनकी यह कहानी सभी के लिए प्रेरणास्रोत का काम कर रही है. साक्षी मलिक ने अपने शुरुआती दिनों में कुश्ती का अभ्यास करने के लिए पुरुषों के साथ प्रशिक्षण लेना पड़ा था. साक्षी ने महज 12 साल की उम्र में कुश्ती का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था.
अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions)
साक्षी मलिक किसकी खिलाड़ी है?
साक्षी मलिक फ्रीस्टाइल कुश्ती (Freestyle Wrestling) खेलती हैं. उन्होंने इस खेल में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया है, जिसमें 2016 के रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतना भी शामिल है.
साक्षी मलिक क्यों प्रसिद्ध है?
साक्षी मलिक 2016 के रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान हैं. उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई. 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की ब्रांड एंबेसडर के रूप में, साक्षी ने समाज में लड़कियों की शिक्षा और कल्याण के प्रति जागरूकता फैलाई है.
साक्षी मलिक का रेलवे में कौन सा पद है?
साक्षी मलिक भारतीय रेलवे में वरिष्ठ क्लर्क (Senior Clerk) के पद पर कार्यरत थी. अब फिलहाल में साक्षी को राजपत्रित अधिकारी के पद पर पदोन्नत कर दिया गया है.
साक्षी मलिक के पति कौन है?
साक्षी मलिक के पति का नाम सत्यव्रत कादियान है. सत्यव्रत कादियान भी एक कुश्ती पहलवान हैं और उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया है. उनका विवाह 2 अप्रैल 2017 को हुआ था.